tag:blogger.com,1999:blog-68211478166404137752024-03-12T18:32:06.507-07:00प्राकृतिक जीवन शैलीशोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-60381366648773585122013-02-22T21:00:00.000-08:002013-02-22T22:39:41.761-08:00परेशानियाँ अनेक इलाज एक <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
एक ऐसा घरेलू चूर्ण है जिससे कई परेशानियों में राहत मिलती है. सर्दी, जुकाम, खांसी, अजीर्ण,पेट दर्द, खट्टी डकार, गैस, जी घबराना इत्यादि में ये चूर्ण तुरंत राहत देता है. इसे बनाना भी सरल है.<br />
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चूर्ण के लिए प्रयुक्त सामान :--</div>
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१- पिसी हल्दी </div>
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२- काला नमक </div>
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३- काली मिर्च (पिसी हुई)</div>
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४- अजवाइन (भूनी कर दरदरा पिसा हुआ)</div>
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उक्त सामान को बराबर मात्रा में ले कर मिला ले. स्वादानुसार मात्रा बदल भी सकते है. इस चूर्ण को बनाकर रख ले जब भी उक्त में से कोई भी परेशानी हो कुनकुने पानी से आधा चम्मच चूर्ण लेले। जल्द ही राहत मिल जाती है. </div>
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शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-4385085920731173932013-01-25T03:12:00.004-08:002013-01-25T03:12:52.076-08:00कब्ज के लिये जानकारी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कब्ज के बारे में जानकारी के लिये निम्न link देख सकते है। इस लिंक में कब्ज की वजह उपचार भोजन इत्यादि के बारे में जानकारी दी हुई है जो कि जन सामान्य के लिए उपयोगी है<br />
लिंक<br />
<a href="http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C">http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%9C</a><br />
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शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-78342814811947230912012-02-03T19:21:00.000-08:002012-02-03T19:21:51.474-08:00उपवास से फायदे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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मेने पिछली पोस्ट में उपवास के कुछ तरीके बताये थे. इस बार मै उपवास से फायदे बताना चाहती हु. </div>
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उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है. जिस प्रकार हम काम के बाद आराम करते है इसी तरह से पेट को आराम देना जरुरी होता है वो तभी हो सकता है जब हम उपवास करे. यहाँ उपवास से तात्पर्य सामान्यतः किये जाने वाले व्रतों से नहीं है. उपवास तभी फायदे मंद रहेगा जब हम सुपाच्य भोजन ही करे व्रतों मै लिए जाने वाले गरिष्ठ भोजन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह ही होगे. </div>
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जब दोनों वक़्त भोजन किया जाता है तो कई बार अनपचा भोजन आंतो में रह जाता है जो कई परेशानियों की वजह बन जाता है. इसलिए कभी कभी भोजन छोड़ देना अच्छा होता है और आंतो मै फसे भोजन को आगे बढने के लिए नीबू-पानी का प्रयोग उत्तम होता है इसके लिए एनिमा का भी प्रयोग किया जा सकता है.<br />
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जब पानी पर लम्बा उपवास किया जाता है तो आंतो मे फसा हुआ मल आगे नहीं बढ पाता है तो एनिमा मल को नरम करके आगे बढ़ाने में मदद करता है. (एनिमा पर एक पोस्ट अलग से लिखूंगी )</div>
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लम्बे उपवास में शरीर की सफाई होती है इसलिए कुछ परेशानिया भी हो सकती है जेसे जी घबराना, कमजोरी आना इत्यादि. पर बाद में फायदा नज़र आता है.<br />
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अगर सप्ताह में एक वक़्त भी खाना न खाए (फल, छाछ वगैरह ले सकते है) तो भी फायदा मिलेगा.</div>
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</div>शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-90811929867412055302011-11-19T22:22:00.000-08:002011-11-19T22:22:32.745-08:00उपवास<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">भारत में लगभग हर दिन उपवास का रहता है ज्यादातर उपवास लोगों द्वारा किये भी जाते है. पर जिस प्रकार के उपवास प्रचलित है वो स्वास्थ्य पर बुरा असर ही डालते है प्राकृतिक चिकित्सा में भी उपवास कराये जाते है जिसका तरीका इस प्रकार है :-<br />
जिस दिन उपवास करना हो उसके एक दिन पूर्व रात्रि में हल्का भोजन ले यदि केवल फल ले तो और अच्छा होगा. लम्बे उपवासों में उपवास ख़त्म करने में विशेष ध्यान रखना पड़ता है. अन्यथा स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पता है. बेहतर हो कि पहली बार लम्बे उपवास किसी जानकार के देखरख में किया जाये. उपवास कई तरीको से किया जा सकता है<br />
१. केवल पानी पर उपवास - इसमे दिनभर में ८-१० गिलास पानी पिया जाता है पानी के अलावा कुछ और नहीं लिया जाता है अगर एक से अधिक दिन के लिए उपवास करना हो तो एनिमा लेना जरुरी हो जाता है.<br />
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२.फलो के रस पर उपवास- ये उपवास भी पानी के उपवास जैसा ही है बस इसमे पानी की जगह फलो का रस लेते है.<br />
३.फल का उपवास- इस उपवास में हम कोई एक फल ले सकते है .<br />
४. नीबू-पानी का उपवास - इस उपवास में एक गिलास पानी में आधा नीबू का रस लिया जाता है अगर शहद मिला ले तो ज्यादा अच्छा होगा. ये उपवास अपनी शक्ति के अनुसार कई दिनों तक किया जा सकता है.<br />
५. एकासना - इस उपवास में एक वक़्त ही भोजन किया जाता है बेहतर होगा कि दुसरे वक़्त फल या रस ही लिया जाये.<br />
उपवास से फायदे अगली बार .</div>शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-44007589327834439492011-05-01T23:01:00.000-07:002011-05-01T23:01:06.357-07:00असली शहद जांचने का तरीका<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: center;"><b><br />
</b></div><div style="text-align: left;"><b> </b>१. रुई की बत्ती बनाकर उसको शहद में डुबो कर आग पर जलाये. अगर जलने पर तड-तड आवाज आती है तो समझिये शहद में मिलावट है. शुद्ध शहद होने पर कोई आवाज नहीं आती है. </div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"> २. एक कांच के गिलास में पानी ले और शहद डाले. अगर शहद बिना घुले नीचे तक पहुच जाता है तो शहद शुद्ध है. अशुद्ध शहद नीचे पहुँचने से पहले ही घुलने लगेगा. </div></div>शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-86826163283818228622010-12-26T04:04:00.000-08:002010-12-26T04:04:20.398-08:00भोजन सम्बन्धी उपयोगी सूत्रहम प्रतिदिन भोजन करते है और पेट सम्बन्धी कई बीमारियों से २-४ होना पड़ता है यदि हम कुछ सावधानी रखे तो हमारा स्वास्थ्य ज्यादा अच्छा रहेगा.<br />
१. भोजन करते समय पेट १/३ ठोस, १/३ तरल और शेष १/३ खाली होना चाहिए.<br />
२. भोजन नियत समय पर और नियत मात्रा में होना चाहिए.<br />
३. भोजन के समय प्रसन्न चित्त रहना चाहिए.<br />
४. बासी भोजन से यथा संभव बचना चाहिए.<br />
५.शरीर के ताप से कुछ ज्यादा गरम भोजन का ताप हो. ज्यादा गरम या ठंडा भोजन पेट व दांतों के लिए उपयुक्त नहीं होता है.<br />
६. २ भोजन में ६ घंटे का अंतर होना चाहिए.<br />
७. अधिक गरम या ठंडा भोजन हानिकारक होता है.<br />
८. भोजन धीरे धीरे अच्छे से चबा कर करना चाहिए.<br />
९. भोजन में सब्जी तरकारी की मात्रा अनाज व दालों से ३ गुनी होना चाहिए.शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-8956058840156749032010-09-12T09:17:00.000-07:002010-09-12T09:17:07.015-07:00१० . भोजन के साथ कम से कम पानी पीये. इसके लिए भोजन में रसेदार सब्जी पर्याप्त हो.<br />
११. प्रात उठते ही ४ गिलास पानी पिए. पानी ताम्बे के बरतन में रखा हो तो और अच्छा.<br />
१२. भोजन के साथ छाछ लिया जा सकता है.<br />
१३.चाय-काफी के स्थान पर सादा या गुनगुना पानी , नीबू पानी, छाछ,सूप , या फलो का रस लेना लाभकारी होता है.<br />
जौ की चाय बहुत फायदेमंद होती है (बनाने की विधि पहले बता चुकी हूँ ) <br />
१४. रोटी और सब्जी का अनुपात १:३ होना चाहिए.<br />
समाप्त<br />
संकलितशोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-71547937942217529672010-09-09T04:20:00.000-07:002010-09-09T04:20:11.523-07:00स्वस्थ रहने के सरल उपायस्वास्थ्य के कुछ सामान्य एवं सरल उपाय है जिन्हें कोई भी आसानी से अपना सकता है---<br />
१. सुबह जल्दी उठ कर ३-४ किलोमीटर रोज़ टहले.<br />
२. टहलने के अलावा दौड़ना, साईकिल चलाना, घुड़सवारी , तैरना या कोई भी खेलकूद व्यायाम के अच्छे उपाय है. घरो में होने वाले कार्य जेसे चक्की पीसना, दही बिलोना, रस्सी कूदना, पानी भरना, झाड़ू- पौछा लगाना आदि भी अच्छे व्यायाम है.छोटे बच्चो के साथ खेलना और खुल कर हसना भी व्यायाम के अंतर्गत आते है.<br />
३. सुबह के नाश्ते में अंकुरित अन्न, भीगी मूंगफली, फल या फलो का रस लिया जा सकता है.<br />
४. भोजन सादा हो और शांत प्रसन्न मन से खूब चबा कर खाना चाहिए.<br />
५.<b> भूख से कम खाना चाहिए.</b><br />
६. भोजन में अंकुरित अन्न अवश्य होना चाहिए. अंकुरित अन्न में पौष्टिकता और खनिज लवण अत्यधिक मात्रा में बढ जाते है. अंकुरित अन्न में कई विटामिन पाए जाते है जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक होते है.<br />
७. मौसमी हरी सब्जी और ताजे फल खाने में पर्याप्त मात्रा में रहने चाहिए. सब्जियों में विविधता होना अच्छा है.<br />
८. रोटी का आटा चोकर सहित होना चाहिए. यदि संभव हो तो हाथ का पिसा आटा खाना चाहिए.<br />
९. जौ, चना ,गेहूं का मिश्रित आटा सुपाच्य और पौष्टिक होता है. इसे और पौष्टिक बनाने के लिए रोटी में हरी सब्जी या पत्तेदार सब्जी मिलाई जा सकती है. छाछ मिला कर भी रोटी बने जा सकती है. <span style="color: red;"> जारी...</span>.<br />
संकलितशोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-35427970931099196372010-09-03T09:23:00.000-07:002010-09-06T07:44:31.275-07:00जीवन निर्माण घोलयह जौ* का बना हुआ एक घोल है जिसको लेने से स्वास्थ्य में सुधार और प्रतिरोधात्मक शक्ति में वृध्दि होती है. ये घोल संक्रामक रोगों से बचाव भी करता है. इसको बनाने के विधि इस प्रकार है :-<br />
जौ २५ ग्राम<br />
पानी २ ग्लास<br />
गुड ३० ग्राम<br />
बड़ी सौंफ २० ग्राम<br />
तुलसी के पत्ते ११<br />
काला नमक स्वादानुसार<br />
उपरोक्त सभी सामग्री को उबाल कर ठंडा कर ले. सुबह शाम पीये. मधुमेह के रोगी गुड के बगैर बना सकते है.<br />
इसको गर्म, कुनकुना या ठंडा लिया जा सकता है. गर्म पीने पर चाय का विकल्प हो सकता है .<br />
ये घोल सभी के लिए लाभप्रद है<br />
* जौ एक प्रकार का अनाज है जो हवन इत्यादि में प्रयुक्त होता है. राजस्थान में खाया जाने वाला प्रमुख अनाज.शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6821147816640413775.post-1176991368079850092010-08-30T22:21:00.000-07:002010-08-30T22:21:14.973-07:00क्या करे सर्दी होने परमौसम के बदलने से अक्सर हम सर्दी के शिकार हो जाते है. इसलिए कुछ टिप्स सर्दी में राहत के लिए.<br />
१. गरम पानी पीये.<br />
२. अमरुद या पत्ता गोभी के पत्तो की भाप ले.<br />
३. हल्दी-गुड की गोलियाँ खाए.<br />
४. हल्का भोजन ले.<br />
५. बेहतर होगा कि उपवास करे. उपवास में केवल गरम पानी में नीबू डाल कर ले.<br />
६. फलो या फलो के रस पर भी उपवास किया जा सकता है. <br />
७. खटाई पर्याप्त मात्रा में ले.शोभाhttp://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.com1