रविवार, 26 दिसंबर 2010

भोजन सम्बन्धी उपयोगी सूत्र

हम प्रतिदिन भोजन करते है और पेट सम्बन्धी कई बीमारियों से २-४ होना पड़ता है यदि हम कुछ सावधानी रखे तो हमारा स्वास्थ्य ज्यादा अच्छा रहेगा.
१. भोजन करते समय पेट  १/३ ठोस, १/३ तरल और शेष १/३ खाली होना चाहिए.
२. भोजन नियत समय पर और नियत मात्रा में होना चाहिए.
३. भोजन के समय प्रसन्न चित्त रहना चाहिए.
४. बासी भोजन से यथा संभव बचना चाहिए.
५.शरीर के ताप से कुछ ज्यादा गरम भोजन का ताप हो. ज्यादा गरम या ठंडा भोजन पेट व दांतों के लिए उपयुक्त नहीं होता है.
६. २ भोजन में ६ घंटे  का अंतर होना चाहिए.
७. अधिक गरम या ठंडा भोजन हानिकारक होता है.
८. भोजन धीरे धीरे अच्छे से चबा कर करना चाहिए.
९. भोजन  में सब्जी तरकारी की मात्रा अनाज व दालों से ३ गुनी होना चाहिए.

रविवार, 12 सितंबर 2010

१० .  भोजन के साथ कम से कम पानी पीये. इसके  लिए भोजन में रसेदार सब्जी पर्याप्त हो.
११. प्रात उठते ही ४ गिलास पानी पिए. पानी ताम्बे के बरतन में रखा हो तो और अच्छा.
१२.  भोजन के साथ छाछ लिया जा  सकता  है.
१३.चाय-काफी के स्थान पर सादा या गुनगुना पानी , नीबू  पानी, छाछ,सूप , या फलो का रस लेना लाभकारी होता है.
    जौ की चाय बहुत फायदेमंद होती है (बनाने की विधि पहले बता चुकी हूँ  )
१४.  रोटी और सब्जी का अनुपात  १:३ होना चाहिए.
                                                                                  समाप्त
संकलित

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

स्वस्थ रहने के सरल उपाय

स्वास्थ्य के कुछ सामान्य एवं सरल उपाय है जिन्हें कोई भी आसानी से अपना सकता है---
१. सुबह जल्दी उठ कर ३-४ किलोमीटर रोज़ टहले.
२. टहलने के अलावा दौड़ना, साईकिल चलाना,   घुड़सवारी , तैरना या कोई भी खेलकूद व्यायाम के अच्छे उपाय है. घरो में होने वाले कार्य जेसे चक्की पीसना, दही बिलोना, रस्सी कूदना, पानी भरना, झाड़ू- पौछा लगाना आदि भी अच्छे व्यायाम है.छोटे बच्चो के साथ खेलना और खुल कर हसना भी व्यायाम के अंतर्गत आते है.
३. सुबह के नाश्ते में अंकुरित अन्न, भीगी मूंगफली, फल या फलो का रस लिया जा सकता है.
४. भोजन सादा हो और शांत प्रसन्न मन से खूब चबा कर खाना चाहिए.
५. भूख से कम खाना चाहिए.
६. भोजन में अंकुरित अन्न अवश्य होना चाहिए. अंकुरित अन्न में पौष्टिकता और खनिज लवण अत्यधिक मात्रा में बढ जाते है. अंकुरित अन्न में कई विटामिन पाए जाते है जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक होते है.
७. मौसमी हरी सब्जी और ताजे फल खाने में पर्याप्त मात्रा में रहने चाहिए. सब्जियों में विविधता होना अच्छा है.
८. रोटी का आटा चोकर सहित होना चाहिए. यदि संभव हो तो हाथ का पिसा आटा खाना चाहिए.
९. जौ, चना ,गेहूं का मिश्रित आटा सुपाच्य और पौष्टिक होता है. इसे और पौष्टिक बनाने के लिए रोटी में हरी सब्जी या पत्तेदार सब्जी मिलाई जा सकती है. छाछ मिला कर भी रोटी बने जा सकती है.     जारी....
संकलित

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

जीवन निर्माण घोल

यह जौ* का बना हुआ  एक घोल है जिसको लेने से स्वास्थ्य में सुधार और प्रतिरोधात्मक शक्ति में वृध्दि होती है. ये घोल संक्रामक रोगों से बचाव भी करता है. इसको बनाने के विधि इस प्रकार है :-
जौ २५ ग्राम
पानी २ ग्लास
गुड ३० ग्राम
बड़ी सौंफ  २० ग्राम
तुलसी के पत्ते ११
काला नमक  स्वादानुसार
उपरोक्त सभी सामग्री को उबाल कर ठंडा कर ले.  सुबह शाम पीये. मधुमेह के रोगी गुड के बगैर बना सकते है.
इसको गर्म, कुनकुना या ठंडा लिया जा सकता है. गर्म पीने पर चाय का विकल्प हो सकता  है .
ये घोल सभी के लिए लाभप्रद है
* जौ एक प्रकार का अनाज है जो हवन इत्यादि में प्रयुक्त होता है. राजस्थान में खाया जाने वाला प्रमुख अनाज.

सोमवार, 30 अगस्त 2010

क्या करे सर्दी होने पर

मौसम के बदलने से अक्सर हम सर्दी के शिकार हो जाते है.  इसलिए कुछ टिप्स सर्दी में राहत के लिए.
१. गरम पानी पीये.
२. अमरुद  या पत्ता गोभी के पत्तो की भाप ले.
३. हल्दी-गुड की गोलियाँ खाए.
४. हल्का भोजन ले.
५. बेहतर होगा कि उपवास करे. उपवास में केवल गरम पानी में नीबू डाल कर ले.
६. फलो या फलो के रस पर भी उपवास किया जा सकता है.
७. खटाई पर्याप्त मात्रा में ले.